84 लाख योनियों में भटकने के बाद दुर्लभ मनुष्य जन्म मिलता है.
ब्रह्मवैवर्त के प्रकृति खंड (अध्याय 35-36) में दुर्वासा-इंद्र संवाद से ज्ञात होता जीवन के बाद जिसने लेशमात्र पुण्य किया होता है, उसे अन्य देवताओं की उपासना का मंत्र मिलता है।
2. ऐसे अनेक जन्मों के बाद, सब कर्मों के साक्षी सूर्यदेव का मंत्र मिलता है, जिससे वह शुद्ध हो जाता है ।
3. सूर्यदेव की 3 जन्म की उपासना के बाद समस्त विघ्न विनाशक गणेश जी की उपासना करता है. अनेक जन्मों की उपासना के बाद, उसके सारे विघ्न दूर हो जाते है व दिव्य ज्ञान प्राप्त करता है।
4. फिर वह विष्णु मायारूपणी दुर्गा जी की उपासना अनेक जन्मों तक करता है, जिससे वह ज्ञान का सार प्राप्त कर लेता है।
5. फिर वह श्रीकृष्णज्ञान के अधिदेवता शिव जी की उपासना 3 जन्मों तक करता है।
6. फिर अगले जन्म वह हरिभक्ति प्राप्त करता है और भक्तों के संग़ से उसे कृष्ण मंत्र मिलता है.
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
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