Thursday, July 15, 2021

तुलसी पूजन के लिए श्रील प्रभुपाद के निर्देश*

तुलसी पूजन के लिए श्रील प्रभुपाद के निर्देश*

— *इस्कॉन में तुलसी पूजन आरंभ करने के लिए श्रील प्रभुपाद द्वारा लिखा गया पत्र* —

श्रीमती तुलसी देवी का आपके ऊपर अनुग्रह से मैं अति प्रसन्न हूँ। यदि आप वास्तव में यह तुलसी का पौधा उगा सकें, जोकि मुझे पता है आप कर पाएंगे, तो आश्वस्त रहें कि यह आपकी कृष्ण के प्रति भक्ति का प्रमाण है। मैं अपने समुदाय में यह तुलसी पूजन प्रारंभ करने को लेकर उत्सुक था परन्तु अभी तक मैं सफल नहीं हो पाया था इसलिए जब मैंने यह सुना की आपको यह अवसर मिला है तो मेरे आनंद की कोई सीमा नहीं है ।

कृपया तुलसी पौधों का निम्नलिखित रूप से ध्यान रखिये। यह तुलसी उगाने का सबसे अच्छा समय है। १५ अप्रैल से १५ जून तुलसी पौधे को लगाने का सबसे अच्छा समय है । मेरी समझ में अभी बीज अंकुरित हो रहे होंगे, इस लिए सम्पूर्ण स्थान को जाली से ढक दें क्योंकि कोमल अंकुरों को कई बार चिड़िया खा लेती है, इसलिए हमें चिडियों से इनकी रक्षा करनी पड़ेगी। सभी भक्तों को कम से कम एक बार प्रातः प्रसाद लेने से पहले इसमें जल देना चाहिए।

जलदान बहुत अधिक मात्रा में न हो अपितु केवल भूमि को कोमल और नम करने के लिए होना चाहिए। सूर्य का प्रकाश भी आने देना चाहिए। जब पौधा ७ इंच तक बढ़ जाये तब आप उसे एक पंक्ति में किसी दुसरे स्थान पर रोपित करें। तत्पश्चात जल देते रहें और पौधे बढ़ते रहेंगे । मेरे विचार से शीत प्रदेशों में यह पौधे नहीं उगते परन्तु आपके पास से यदि ये भेजे जाएँ और भक्त इनका गमलों में ध्यान रखें तो यह अवश्य बढ़ेंगे।

तुलसी पत्र, श्री विष्णु को अति प्रिय है। सभी विष्णु तत्त्व के विग्रहों को तुलसी पत्र प्रचुर मात्रा में चढ़ाये जाने चाहिए। भगवान् विष्णु को तुलसी पत्र की माला भी प्रिय है। तुलसी पत्र को चन्दन लेप के साथ भगवान् के चरण-कमलों पर स्थापित करना उनकी सर्वोत्तम पूजा है। परन्तु हमें अत्यंत सावधान रहना चाहिए कि तुलसी पत्र भगवान् विष्णु और उनके विभिन्न रूपों के अतिरिक्त किसी और को न चरणों में न अर्पित किये जाएँ। यहाँ तक की राधारानी और अध्यात्मिक गुरु के चरणों में भी नहीं तुलसी पत्र अर्पित नहीं करने चाहिए। वे विशेष रूप से भगवान् कृष्ण के चरण-कमलों में अर्पित करने के लिए सुरक्षित हैं। यद्यपि जैसा कि आपने गोविंदा एल्बम में देखा है, इन तुलसी पत्रों को हम भगवान् कृष्ण के चरण कमलों में अर्पित करने हेतु राधारानी की हथेली पर रख सकते हैं।

मैं आपको तुलसी देवी के लिए निम्लिखित तीन मन्त्र दे रहा हूँ :
*वृन्दाय तुलसी देव्यै प्रियायै केशवस्य च । *
*विष्णुभक्तिप्रदे देवी सत्यवत्यै नमो नमः ।।*

यह पंचांग प्रणाम करने के समय बोलना है । और जब आप पौधे से पत्र चुन रहे हों तो निम्नलिखित मन्त्र बोलना चाहिए :
*तुलस्यामृत जन्मासी सदा त्वम् केशव प्रिया ।* 
*केशवार्थ चिनोमी त्वां वरदा भव शोभने ।।*

तुलसी वृक्ष की प्रदक्षिणा के लिए यह मन्त्र है :
*यानि कानि च पापानि ब्रह्महत्यादिकानि च । 
तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिणः पदे पदे ।।*

तो तीन मन्त्र हैं, एक प्रणाम करने के लिए, एक प्रदक्षिणा करने के लिए और एक तुलसी पत्र चुनने के लिए। तुलसी पत्र दिन में एक बार प्रातः पूजा और भोग अर्पण के समय उपयोग करने के लिए एकत्रित कर लेने चाहिए। हर पात्र या थाली में कम से कम एक तुलसी पत्र होना ही चाहिए। तो आप इन तुलसी सेवा के नियमों का पालन करो और अन्य केन्दों में अपने अनुभव को बाँटने का प्रयास करो, यह कृष्ण भावनामृत आन्दोलन के इतिहास में एक नया अध्याय होगा ।

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