दो चीज जब तक जीवन में से नहीं हटी गायन तो हो सकता है पर कीर्तन नहीं हो सकता। गायन करना और कीर्तन करने में फरक है। जब तक तुम्हारे जीवन में से या तुम्हारे स्वभाव में से कीर्ति और तन की चिंता नहीं मिटेगी तब तक कीर्तन नहीं हो सकता। तब तक गायन कर सकते हो।
गायन तो कोई भी सुरीला कर सकता है गायन तो बड़े बड़े लोग करते थे तानसेन भी गाता था। तानसेन गायक था स्वामी हरिदास कीर्तनिया थे। फरक है दोनों में। जो कीर्ति और तन से ऊपर उठा वो कीर्तनिया है।
मीरा गाती थी-
लोग कहे मीरा भयी बाँवरी सास कहे कुल नाशी रे।
इस पद पर मीरा कीर्ति से ऊपर उठ गयी और
राणा भेज्यो विष को प्यालो पीवत मीरा हाँसी रे।।
इस लाइन में मीरा तन से ऊपर उठ गयी इसलिए जब मीरा बोलती थी तब गिरधर नाचता था।
गायक जगत को नचाते हैं और कीर्तनिया जगन्नाथ को नचाते हैं।
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