Wednesday, June 23, 2021

श्रीमद् भागवतम् प्रथम स्कन्द आठवा अध्याय श्लोक क्रमांक 26
जनमेश्वर्य श्रुत श्रीभि एधमान मद पुमान्
नैवारहत्य अभिधातुमवै त्वाम् अकिंचन गोचरं




अनुवाद श्रीमती कुंती महारानी कहती  है !हे प्रभु आप सरलता से  प्राप्त होने वाले है लेकिन केवल उन्ही के द्वारा जो भौतिक दृष्टी से अकिंचन है !
जो सन्मानित कुल ऐश्वर्य उच्च शिक्षा तथा शारीरिक सौंदर्य के द्वारा भौतिक प्रगित के पथ पर आगे बढ़ने के प्रयास में लगा रहता है !!
वह आप तक एकनिष्ठ भाव से नहीं पहुँच पाता

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