Saturday, June 5, 2021

भक्त

भक्त का संबंध जब भगवान से है। तब वह हर तरह से तृप्त है। क्योंकि वहां कोई इच्छा शेष नहीं ? एक इच्छा शेष बचती है, कि वह अपने आराध्य के करीब रहे।

वहीं संसार के बंधनों से व्यक्ति कभी तृप्त नहीं । जिससे भी प्रेम करें, न जाने कब इस संसार से रुकसत हो, हमें धोखा दे दे । वह मां हो,बाप हो, भाई, बहन, बंधु, सखा मित्र कोई भी हो सकता है। यही सच है।

तो फिर सांसारिक बंधनों से प्रेम करना तो सही,  मगर जकड़ना सही नहीं, जकड़ कर फिर दुख के सिवा कुछ हाथ नहीं आता।  क्योंकि जो चला गया वो लौटकर नहीं आएगा और निश्चित जाना हम सबको है, सबका दिन समय क्षण पल तय है, सब प्रारब्ध है, तो फिर मोह में जकड़ना क्यों ? 

जकड़ना ही है, बंधना ही है, तो उससे मोह करें उससे जकड़े। जो मृत्यु उपरांत हमें स्वयं लेने आएंगे। हमारे भगवान, जो हमारी माता पिता बंधु सखा मित्र सभी कुछ है। जहां सभी रिश्तों नातों का सुख है परमानंद है। 

परम आनंद की अनुभूति व्यक्त नहीं की जा सकती। सिर्फ स्वयं अनुभव की जा सकती है। जो इस लोक में भी आनंद देती है और परलोक में भी परम आनंद देती है। परम आनंद की गहराई में उतरने के लिए स्वयं की खोज करनी होगी।

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