Saturday, October 2, 2021

ईमानदार

ईमानदार

वो है जो मन वचन कर्म में एक सा है । कहता है कुछ , करता है कुछ, मन मे है कुछ उसे बोलचाल की भाषा मे बेईमान कह सकते हैं ।

ऐसे ही 
आर्त भक्त
जिज्ञासु भक्त
अर्थार्थी भक्त

ये तीनो कहे तो भक्त ही जाते है, लेकिन ये विशुद्ध भक्त नही हैं । विशुद्ध भक्त वे हैं जो प्रिया लाल जु के सुख के अतिरिक्त कुछ नहीं सोचते ।

इसी प्रकार एक बार कृष्ण नाम लेने वाला भी वैष्णव तो है ही, लेकिन वो विशुद्ध वैष्णव नहीं, विशेष कर आज के समय में हम 

बात तो भजन भक्ति की करते हैं, 
मन मे है प्रतिष्ठा, और 
काम करते है धन उपार्जन के

ऐसे हम जिनकी कोरी बातें हैं, भजन की । हमारा ना तो मन है, ना प्रयास है, ऐसे हम 

बेईमान वैष्णव की श्रेणी में आते हैं । सूक्ष्म चिंतन है, साथ ही मेरा स्तर बहुत ही प्राथमिक है, इसलिए अभी इतना ही समझ आया, बहुत ऊंची बात अभी समझ नही आती । सन्त सज्जन कृपा से आने लगेगी ।

दासाभास का वैष्णवजन को प्रणाम
जय श्रीराधे । जय निताई
लेखक : दासाभास

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