Friday, August 2, 2019

श्रीगुरु प्रणामश्रीगुरु प्रणाम

श्रीगुरु प्रणामश्रीगुरु प्रणाम

ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया

चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै शीगुरवे नमः

श्रीरुप प्रणाम

श्री चैतन्यमनोऽभीष्टं स्थापितं येन भूतले

स्वयं रूपः कदा मह्यं ददाति स्वपदान्तिकम्

मंगलाचरण

वन्देऽहं श्रीगुरोः श्रीयुतपद – कमलं श्रीगुरुन् वैष्णवांश्च

श्रीरूपं साग्रजातं सहगण – रघुनाथान्वितं तं सजीवम्

साद्वैतं सावधूतं परिजन सहितं कृष्ण – चैतन्य – देवम्

श्रीराधा – कृष्ण – पादान् सहगण – ललिता – श्रीविशाखान्वितांंश्च

श्रील प्रभुपाद प्रणति

नम ॐ विष्णु – पादाय कृष्ण – प्रेष्ठाय भूतले

श्रीमते भक्तिवेदान्त – स्वामिन् इति नामिने

नमस्ते सारस्वते देवे गौर – वाणी प्रचारिणे

निर्विशेष – शून्यवादी – पाश्चात्य – देश – तारिणे

श्रील भक्तिसिद्धान्त सरस्वती प्रणति

नमः ॐ विष्णुपादाय कृष्ण – प्रेष्ठाय भूतले

श्रीमते भक्तिसिद्धान्त – सरस्वतीति – नामिने

श्रीवार्षभानवी – देवी – दयिताय कृपाब्धये

कृष्ण – सम्बन्ध – विज्ञान – दायिने प्रभवे नमः

माधुर्य्योज्जवल – प्रेमाढय – श्रीरूपानुग – भक्तिद

श्रीगौर – करुणा – शक्ति – विग्रहाय नमोऽस्तु ते

नमस्ते गौर – वाणी – श्रीमूर्तये – दीन – तारिणे

रूपानुग – विरुद्धाऽपसिद्धान्त – ध्वान्त – हारिणे

श्रील गौरकिशोर प्रणति

नमो गौरकिशोराय साक्षाद्वैराग्य मूर्त्तये

विप्रलम्भ – रसाम्भोधे पादाम्बुजाय ते नमः

श्रील भक्तिविनोद प्रणति

नमो भक्ति – विनोदाय सच्चिदानन्द – नामिने

गौर – शक्ति – स्वरूपाय रूपानुग – वराय ते

श्रील जगन्नाथ प्रणति

गौराविर्भाव – भूमेस्त्वं निर्देष्टा सज्जन – प्रियः

वैष्णव – सार्वभौमः श्रीजगन्नाथाय ते नमः

श्री वैष्णव प्रणाम

वाछां – कल्पतरुभ्यश्च कृपा – सिन्धुभ्य एव च

पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नमः

श्री गौराङ्ग प्रणाम

नमो महावदान्याय कृष्ण – प्रेम – प्रदाय ते

कृष्णाय कृष्ण – चैतन्य – नाम्ने गौरत्विषे नमः

श्री पञ्चतत्त्व प्रणाम

पञ्चतत्त्वात्मकं कृष्णं भक्तरूपस्वरूपकम्

भक्तावतारं भक्ताख्यं नमामि भक्तशक्तिकम्

श्री कृष्ण प्रणाम

हे कृष्ण करुणासिन्धो

दीनबन्धो जगत्पते

गोपेश गोपिकाकान्त

राधाकान्त नमोऽस्तुते

सम्बन्धाधिदेव प्रणाम

जयतां सुरतौ पङ्गोर्मम मन्द मतेर्गती

मत्सर्वस्व पदाम्भोजौ राधा – मदनमोहनौ

अभिधेयाधिदेव प्रणाम

दीव्यद् – वृन्दारण्य – कल्पद्रुमाधः

श्रीमद्रत्नागार सिंहासनस्थौ

श्रीमद्राधा श्रीलगोविन्द – देवौ

प्रेष्ठालीभिः सेव्यमानौ स्मरामि

प्रयोजनाधिदेव प्रणाम

श्रीमान् रासरसारंभी वंशीवट – तटस्थितः

कर्षन् वेणुस्वनैर्गोपीर्गोपीनाथः श्रियेऽस्तु नः

श्री राधा प्रणाम

तप्तकाञ्चनगौराङ्गि राधे वृन्दावनेश्वरि

वृषभानुसुते देवी प्रणमामि हरिप्रिये

पञ्चतत्त्व महामन्त्र

(जय) श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभुनित्यानन्द

श्रीअद्वैत गदाधर श्रीवासादि – गौरभक्तवृन्द

हरे कृष्ण महामन्त्र

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया

चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै शीगुरवे नमः

श्रीरुप प्रणाम

श्री चैतन्यमनोऽभीष्टं स्थापितं येन भूतले

स्वयं रूपः कदा मह्यं ददाति स्वपदान्तिकम्

मंगलाचरण

वन्देऽहं श्रीगुरोः श्रीयुतपद – कमलं श्रीगुरुन् वैष्णवांश्च

श्रीरूपं साग्रजातं सहगण – रघुनाथान्वितं तं सजीवम्

साद्वैतं सावधूतं परिजन सहितं कृष्ण – चैतन्य – देवम्

श्रीराधा – कृष्ण – पादान् सहगण – ललिता – श्रीविशाखान्वितांंश्च

श्रील प्रभुपाद प्रणति

नम ॐ विष्णु – पादाय कृष्ण – प्रेष्ठाय भूतले

श्रीमते भक्तिवेदान्त – स्वामिन् इति नामिने

नमस्ते सारस्वते देवे गौर – वाणी प्रचारिणे

निर्विशेष – शून्यवादी – पाश्चात्य – देश – तारिणे

श्रील भक्तिसिद्धान्त सरस्वती प्रणति

नमः ॐ विष्णुपादाय कृष्ण – प्रेष्ठाय भूतले

श्रीमते भक्तिसिद्धान्त – सरस्वतीति – नामिने

श्रीवार्षभानवी – देवी – दयिताय कृपाब्धये

कृष्ण – सम्बन्ध – विज्ञान – दायिने प्रभवे नमः

माधुर्य्योज्जवल – प्रेमाढय – श्रीरूपानुग – भक्तिद

श्रीगौर – करुणा – शक्ति – विग्रहाय नमोऽस्तु ते

नमस्ते गौर – वाणी – श्रीमूर्तये – दीन – तारिणे

रूपानुग – विरुद्धाऽपसिद्धान्त – ध्वान्त – हारिणे

श्रील गौरकिशोर प्रणति

नमो गौरकिशोराय साक्षाद्वैराग्य मूर्त्तये

विप्रलम्भ – रसाम्भोधे पादाम्बुजाय ते नमः

श्रील भक्तिविनोद प्रणति

नमो भक्ति – विनोदाय सच्चिदानन्द – नामिने

गौर – शक्ति – स्वरूपाय रूपानुग – वराय ते

श्रील जगन्नाथ प्रणति

गौराविर्भाव – भूमेस्त्वं निर्देष्टा सज्जन – प्रियः

वैष्णव – सार्वभौमः श्रीजगन्नाथाय ते नमः

श्री वैष्णव प्रणाम

वाछां – कल्पतरुभ्यश्च कृपा – सिन्धुभ्य एव च

पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नमः

श्री गौराङ्ग प्रणाम

नमो महावदान्याय कृष्ण – प्रेम – प्रदाय ते

कृष्णाय कृष्ण – चैतन्य – नाम्ने गौरत्विषे नमः

श्री पञ्चतत्त्व प्रणाम

पञ्चतत्त्वात्मकं कृष्णं भक्तरूपस्वरूपकम्

भक्तावतारं भक्ताख्यं नमामि भक्तशक्तिकम्

श्री कृष्ण प्रणाम

हे कृष्ण करुणासिन्धो

दीनबन्धो जगत्पते

गोपेश गोपिकाकान्त

राधाकान्त नमोऽस्तुते

सम्बन्धाधिदेव प्रणाम

जयतां सुरतौ पङ्गोर्मम मन्द मतेर्गती

मत्सर्वस्व पदाम्भोजौ राधा – मदनमोहनौ

अभिधेयाधिदेव प्रणाम

दीव्यद् – वृन्दारण्य – कल्पद्रुमाधः

श्रीमद्रत्नागार सिंहासनस्थौ

श्रीमद्राधा श्रीलगोविन्द – देवौ

प्रेष्ठालीभिः सेव्यमानौ स्मरामि

प्रयोजनाधिदेव प्रणाम

श्रीमान् रासरसारंभी वंशीवट – तटस्थितः

कर्षन् वेणुस्वनैर्गोपीर्गोपीनाथः श्रियेऽस्तु नः

श्री राधा प्रणाम

तप्तकाञ्चनगौराङ्गि राधे वृन्दावनेश्वरि

वृषभानुसुते देवी प्रणमामि हरिप्रिये

पञ्चतत्त्व महामन्त्र

(जय) श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभुनित्यानन्द

श्रीअद्वैत गदाधर श्रीवासादि – गौरभक्तवृन्द

हरे कृष्ण महामन्त्र

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

नित्य भजन करा कर बंदे ।

*सुबह सवेरे जाग के बन्दे ,*
       *ध्यान प्रभु का लगाया कर ।*
*किया जो गुरु से वादा ,*
        *उसको रोज़ निभाया कर ।*

*जग के कारज तेरे कभी खत्म न होंगे ।*
    *सब कुछ होगा तब भी जब हम न होंगे ।*

*श्वासो की कीमत को पहचान ले बन्दे ,*
      *वक्त बीत रहा है मगर खाली हाथ है हम ।*

      *जोड़ " सिमरन "के मोती काम वही तेरे आयेंगे ,*
*धन दौलत, मान बड़ाई सब  यही धरे रह जायेंगे ।*
  *सब यही धरे रह जायेंगे ......!!*✍🏻

*नित भजन सिमरन करो जी 👏🏻👏🏻*
🙏🙏

हरे कृष्णा ।

*पृथ्वी पर बहुत ही तीर्थ स्थान हैं , सब तीर्थों की यात्रा मनुष्य नहीं कर सकता है , संपूर्ण नदियों में जाकर मनुष्य स्नान नहीं कर सकता है , मगर  जहां कीर्तन होता है, हरि की कथा होती है, सत्संग होता है, वहां संपूर्ण तीर्थ  विद्यमान होते हैं। इसलिए कहा है - अन्न का कण और सत्संग का क्षण कभी नहीं गंवाना चाहिए ! जहां से मिले, जब मिले, जहां मिले, छोड़ना नहीं चाहिए ।*
  *🌹जय श्री कृष्णा🌹*
           ::::🌹::::✍

विचार।

*कठिन परिस्थितियोँ मेँ*
*संघर्ष करने पर एक*
*बहुमूल्य संपत्ति विकसित*
*होती है*
*जिसका नाम है....*
" *आत्मबल - Willpower*"
🚩👏🏻🙏🏻

विचार ।

*कपड़े से छाना हुआ पानी*
*स्वास्थ्य को ठीक रखता हैं।*
*और...*
*विवेक से छानी हुई वाणी*
*सबंध को ठीक रखती हैं॥*
*शब्दो को कोई भी  स्पर्श नही कर सकता..*_
     _*....पर....*_
_*शब्द सभी को स्पर्श कर जाते है*
                   
🚩🚩जय श्री राम 🚩🚩🚩