*जब कोई न काम आए,ओर हर तरह से हार जाओ,तब दोनों हाथ उठा लेना*
*कह देना बाबा अब नैया तेरे हवाले, में तो हार गया,तू आके लाज बचाले...*
*जय श्री श्याम...✍...♥...🍭*
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*जब कोई न काम आए,ओर हर तरह से हार जाओ,तब दोनों हाथ उठा लेना*
*कह देना बाबा अब नैया तेरे हवाले, में तो हार गया,तू आके लाज बचाले...*
*जय श्री श्याम...✍...♥...🍭*
*राम नाम उर मैं गहिओ जा कै सम नहीं कोई।।*
*जिह सिमरत संकट मिटै दरसु तुम्हारे होई।।*
जिनके सुंदर नाम को ह्रदय में बसा लेने मात्र से सारे काम पूर्ण हो जाते हैं। जिनके समान कोई दूजा नाम नहीं है। जिनके स्मरण मात्र से सारे संकट मिट जाते हैं। ऐसे प्रभु श्रीराम को मैं कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं।
कलयुग में न तो योग, न यज्ञ और न ज्ञान का महत्व है। एक मात्र राम का गुणगान ही जीवों का उद्धार है। संतों का कहना है कि प्रभु श्रीराम की भक्ति में कपट, दिखावा नहीं आंतरिक भक्ति ही आवश्यक है। गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं - प्रेम भक्ति से सारे मैल धूल जाते हैं। प्रेम भक्ति से ही श्रीराम मिल जाते हैं।
छूटहि मलहि मलहि के धोएं।
धृत कि पाव कोई बारि बिलोएं।
प्रेम भक्ति जल बिनु रघुराई।
अभि अंतर मैल कबहुं न जाई।।
अर्थात् मैल को धोने से क्या मैल छूट सकता है। जल को मथने से क्या किसी को घी मिल सकता है। कभी नहीं। इसी प्रकार प्रेम-भक्ति रूपी निर्मल जल के बिना अंदर का मैल कभी नहीं छूट सकता। प्रभु की भक्ति के बिना जीवन नीरस है अर्थात् रसहीन है। प्रभु भक्ति का स्वाद ऐसा स्वाद है जिसने इस स्वाद को चख लिया, उसको दुनिया के सारे स्वाद फीके लगेंगे।
भक्ति जीवन में उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितना स्वादिष्ट भोजन में नमक।
*भगति हीन गुण सब सुख ऐसे।*
*लवन बिना बहु व्यंजन जैसे।।*
अर्थात - जिस तरह नमक के बिना उत्तम से उत्तम व्यंजन स्वादहीन है, उसी तरह प्रभु के चरणों की भक्ति के बिना जीवन का सुख, समृद्धि सभी फीके है।
🌼🌼अष्टसखी परिचय🌼🌼
🌸श्री राधा जी की आठ सखियाँ 🌸
🌷ललिता
🌷विशाखा
🌷चित्रा
🌷इन्दुलेखा
🌷चम्पकलता
🌷रंगदेवी
🌷तुंगविद्या
🌷 सुदेवी
⛱⛱ क्रमशः